Juggnu | जुगनू

जिसका है जनता से सरोकार, वह है यारों का यार

Posted on: अप्रैल 15, 2010

मैं सतपुड़ा अंचल में जिन लोगों से सबसे ज्यादा प्रभावित हूं, उनमें से एक हैं गोपाल राठी। इसलिए नहीं कि वे मेरे भ्रातृतुल्य स्नेही मित्र हैं, बल्कि इसलिए भी कि वे गत ३० बरसों से इस अंचल के किसान, आदिवासियों और दलितों के संघर्ष में शामिल रहे हैं। वे न केवल इनमें खुद मौजूद रहते हैं, बल्कि इसमें दूसरों को भी जोडने का प्रयास करते हैं। वे इनमें इतने गहरे रचे-बसे हैं कि उनकी बातचीत का मुद्‌दा सदैव ऐसे ही विषय रहते हैं जिनका लोगों से सीधा सरोकार हो।

जब मैं उनके बारे में सोचता हूं तब मुझे उनका ऊर्जा से ओत-प्रोत चेहरा सामने आता है। उनमें नीरस व निराशा के माहौल को सहज और हल्का बनाने की कला है। नौजवानों व मित्रों का जोशीले अंदाज में उत्साह बढाना, उनकी विशोषता कही जा सकती है। संचार क्रांति के इस दौर में उनके मोबाईल की घंटी फुरसत के क्षणों को कुछ अर्थ देती हो या न देती हो, भीड में अकेलेपन के सन्नाटे को जरूर तोड ती है। कभी हम उनकी बेकरारी से खीझते भी हैं, लेकिन फिर समझ आता है कि इसमें उनकी कुछ गुजरने की तडप है।

जब वे जन आंदोलनों में माइक पकडते हैं, तो एक अलग समां बंध जाता है। जब वे मौजूद रहते हैं तब सभा या कार्यक्रम का संचालन कोई और करे, शायद ही ऐसा देखा गया है। इसका एक कारण तो उनका लोगों के प्रति गहरा समर्पण है, दूसरा वाकपटुता और लोगों से सीधा साक्षात्कार करने की उनकी चाहत भी है। मुद्‌दों की समझ तो है ही।

मध्यप्रदेश के एक छोटे कस्बे में वे निवास करते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत एकलव्य के साथ काम करते हुए भी वे हमेशा अंचल के जन सरोकारों से तो जुड़े ही रहते हैं। प्रदेश स्तर पर जन संगठनों के साथ भी उनका रिशता बना हुआ है।

करीब २०-३० साल पहले उन्होंने अपने कुछ मित्रों के साथ पिपरिया में समता अध्ययन केन्द्र की द्यशुरूआत की थी। सांडिया रोड पर एक छोटे से कमरे में एक पुस्तकालय चलता था जिसमें अधिकांश पुस्तकें अपने मित्रों व सहानुभूति रखने वाले लोगों से एकत्र की गई थी। पुस्तकालय में साहित्यिक किताबें तो थी, राजनीतिक विचारों की किताबें थी। जिनमें मार्क्स, गांधी, लोहिया, जयप्रकाश, विवेकानंद, भगतसिंह और समाजवादी साहित्य उपलब्ध था। यहां बडी संखया में युवजन एकत्रित होते थे।

दिनमान में समाजवादी चिंतक किशन पटनायक का लेख पढ कर गोपाल भाई ने पत्र लिखा था और किशन जी ने उस पत्र के जवाब में उन्हें मिलने के लिए कहा था। यहां उन्होने समता संगठन की नींव डाली। बाद में बरसों तक किशन पटनायक का इस अंचल से करीबी रिशता बना और उन्होंने यहां के समाजवादी विचारों से प्रेरित जन संगठनों का मार्गदर्शन किया। चाहे केसला विकासखंड में आदिवासियों के हक और इज्जत की लडाई हो या बनखेडी क्षेत्र में किसान मजदूरों की। सभी जगह किशन पटनायक और सुनील सरीखी हस्तियां का नेतृत्व मिलता रहा। गोपाल भाई की इन सबमें महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा सकती है। उन्ही के प्रयास से श्रीगोपाल गांगूडा व हरगोविंद राय जैसे युवा भी समाजवादी विचारधारा से जुडे, जो सार्वजनिक क्षेत्र में सक्रिय रहे।

ज्वलंत समस्याओं पर अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने यहां चौराहे पर बोर्ड रखने की शुरूआत की। स्थानीय झंडा चौराहे पर बोर्ड चर्चा व कौतूहल का विषय बनता रहा है। चाहे असम समस्या हो या बिहार प्रेस बिल, सांप्रदायिकता के खिलाफ मुहिम हो या किसान-आदिवासियों पर जुल्म। बोर्ड पर लिखी टिप्पणियां और नारे हमेशा चर्चा में रहे। समाजवादी राजनीति से गहरा जुड़ाव उनकी टिप्पणियों व नारों में स्पष्ट परिलक्षित होता है। कई बार तो अखबारों ने भी बोर्ड के संदेश को प्रचारित-प्रसारित किया। यह वैकल्पिक मीडिया का भी एक प्रयोग माना जा सकता है। खासतौर से ऐसे समय में जब जन सरोकारों को मीडिया में उचित स्थान नहीं मिल पा रहा है।

उनका नई पीढी से खास लगाव है। वे मोबाईल व इंटरनेट के माध्यम से जुडे रहते हैं। इसके अलावा, एकलब्य पुस्तकालय में रोजाना करीब ४०-५० युवजन आते हैं। पुस्तकालय में कमलेश भार्गव का साथ है। यह पुस्तकालय गतिविधि केंद्र भी है, जहां समय-समय पर विभिन्न विषयों पर चर्चा गोच्च्ठी का आयोजन होता रहता है। यहां प्रखयात पत्रकार प्रभाष जोशी, शिक्षाविद्‌ अनिल सद्‌गोपाल, विनोद रायना, सुशील जोशी, विष्णु नागर जैसी हस्तियां आ चुकी हैं और उनकी वे सराहना प्राप्त कर चुके हैं। उनके बारे में लिखना का एक बहाना उनका जन्मदिन है, हालांकि वे जन्मदिन मनाने के पक्षधर नहीं है। उनका ५१ वां जन्मदिन है। सदैव नई ऊर्जा से अपने मिशन में लगे रहें, ऐसी कामना है।

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14 Responses to "जिसका है जनता से सरोकार, वह है यारों का यार"

प्रिय मित्रो

हमारे वरिष्ट साथी गोपाल राठी के जन्म दिवस के मौके पर स्वतंत्र पत्रकार बाबा माया राम के ब्लॉग “जुगनू “में गोपाल भाई के

सम्बन्ध में व्यक्त किये गए विचारो को आप तक पंहुचा रहा हू गोपाल भाई एकलव्य के अलावा अन्य क्षेत्रो में भी सक्रिय रहते है

पिछले एक साल से में उनके साथ कम कर रहा हू |उनकी सहजता समर्पण और स्नेह पूर्ण व् दोस्ताना व्यव्हार ने मुझे काफी प्रोत्साहित किया है मै गोपाल भाई के दीर्घ जीवन की कामना करता हू

गोपाल भाई को जन्मदिवस की शुभकामनाये

आप भी ब्लॉग पर अपनी टिप्पणी लिख सकते है

साथी गोपाल राठी दीर्घायु हों । जिन्दाबाद।

मित्रो
जन्म दिन पर महान लोगो को याद किया जाता है
मे साधारण व्यक्ति हूँ, मुझे हमेशा याद करे और अपने साथ रखे

Dear Lovely Gopalji, Aapko Mathe per aur Galo per Janm din ki khoob Lambi si “PAPI” aur Khoob Kas Kar “JAFFI”.

My dear i.m back in cotact with ny ancient freinds and my life line, Lakh Lakh badhaiyan gopal ji ko janam din ki aur sabhi mitron ko Vande Mataram

बधाई हो गोपाल जी। और मायारामजी को भी।

many happy returns of d day papa…….
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I LOVE U PAPA………………..!!!

really u r great
n i m very thankful to GOD to Give me such great FATHER……

Dear Bhaiya

Happy birth day to you. You are really a great person you nature is really helpful to everyone at home & in social as well.

Regards

Lalit Baheti
pune

kamane wala khayega .
Lootne wala jayega
Naya jamana Aayega
NAYE JAMNE AUR NAYE SANKALP KE SAATH GOPAL BHAI
KO SALAM
Mukesh bhargava ,Lucknow

many happy returns of the day to our beloved leader, philosopher and guide.

गोपाल भाई को जन्मदिन की शुभकामनाएं |

वैसे बाबा ने सही ही कहा है गोपाल भाई जैसा व्यक्ति मिलना मुश्किल है | मुझे अभी हाल ही में एक अवार्ड मिला और पेपर में पढ़कर फ़ोन आया गोपाल भाई का | और ठेठ बुन्देली में कहा उन्होंने शब्दशः ” तू शोभापुर आये तो बतैये में पिपरिया में प्रेस कांफेरेंस करवे हूँ ” | और उन्होंने बाकायदा एक गोष्ठीनुमा प्रेस वार्ता रखवाई | और जब भी सुनील भाई (केसला ) के सामने मुझसे मिलेंगे तो हमेशा यही कहते हैं कि हमरे इते को है जो | इस बार गैस कांड की २५ वी बरसी पर खुद सुनील भाई ने उनके कहने के पहले ही कह दिया कि काय गोपाल जो तो तुम्हारे इते को है और गोपाल भाई गदगद हो गए |

गोपाल भाई इस हंसी और सरलता को बनाये रखिये | जन्मदिन की शुभकामनाएं |

बाबा भाई को इस बात का साधुवाद कि उन्होंने गोपाल भाई के सम्बन्ध में लिखा | अक्सर हम बड़े लोगों/महान लोगों के विषय में तो लिखते हैं लेकिन अपने बीच के लोगों को भूल जाते हैं |

आपका ही

प्रशांत दुबे
शोभापुर/भोपाल
http://www.atmadarpan.blogspot.com

chahji ko jab bhi dekti hu apne andar ek nayi urja mahsoos karti hu. unki wak patuta ka koi jawab nahi. sir [baba] ne unke baare me jis andaz me likha use salam aur chahaji ko janam din ki badhai. asha karti hu mere har kaam me muje unka margdarshan milta rahega.

Bhai Gopal “Janadin ki Badhai’
BaBa ne ekdum sahi aur Jabardast kalam ka upyog kiya hai.Agar Gopalji ka bus chale to Jisdin unse koi mile,uska bhi janta se sarokar ho jaye.Hum to ek mahina enki kripa se janta se jurkar kuchh samajh paye.Enki wakpatita hi to hai jo jhelne se bacha leti hai.
GARIBO KI LATHI.
GOPAL RATHI.

many many happy returns on the day
nidesh

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